Tija Pora (Pola) 2025 तिजा पोरा तिहार 2025 की तारीख और जानकारी - महिला पूजा करते हुए , सजाये गए बैल और पारंपरिक भोजन के साथ
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Tija Pora 2025: तीजा-पोरा कब है? और कैसे मनाया जाता है? पूरी जानकारी

Tija Pora 2025: कब है तीजा-पोरा तिहार

image showing woman performing Tija Pora festival and their rituals
Humar tija pora tihar

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत त्योहारों की विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और ग्राम्य जीवन की खुशबू से रची-बसी है। इन्हीं में से एक लोकपर्व है तीजा-पोरा तिहार, जो नारीशक्ति, कृषि, और पशुपालन से जुड़े अनूठे रीति-रिवाजों और सामाजिक सौहार्द को रूप, रंग और ऊर्जा देता है। यह पर्व छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में उमंग, उल्लास और संस्कार के साथ मनाया जाता है।

इस आर्टिकल में जानें तिजा-पोरा की ऐतिहासिकता, विविध परंपराएँ, 2025 में इसकी तिथि, आधुनिक रंगत और सामाजिक महत्व।

Tija Pora तिहार क्या है?

तीजा-पोरा दो परंपरागत त्योहारों — Tija और Pora (पोला) का संयुक्त उत्सव है। यह हमारे छत्तीसगढ़ की महिलाओं, कृषकों और पशुपालकों के हार्दिक भावनाओं का प्रतीक है।

Tija (तीजा):  विवाहित और अविवाहित महिलाएँ जीवनसाथी की लंबी उम्र, सुख-शांति व सौभाग्य के लिए व्रत-पूजन करती हैं।
Pora (पोरा): किसानों और पशुपालकों के द्वारा अपने पशुधन (बैल, गाय आदि) की सेवा, पूजा और धन्यवाद ज्ञापन का पर्व।

Tija Pora तिहार 2025 में कब मनाया जाएगा?

इस साल 2025 में छत्तीसगढ़ में Pora (पोला) तिहार 22 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। और तीजा को पोर के तिन दिन बाद यानि 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जायेगा |
पंचांग, सरकार व प्रमुख कलेंडर के अनुसार यह तारीख निर्धारित की गई है।

यदि आपके क्षेत्र या परंपरा के अनुसार दिनांक भिन्न हो, तो स्थानीय सूचना अवश्य देखें।

Tija Pora: नारीशक्ति, उपवास और लोक संस्कृति

किवदंती और महत्व

तीजा तिहार मां पार्वती के कठिन तप और भगवान शिव को पति के रूप में पाने की पौराणिक कथा से जुड़ा है। महिलाएँ तीजा व्रत रखती हैं, व्रत के दौरान मन, वचन, कर्म से व्रती रहकर परिवार की समृद्धि, पति की दीर्घायु व सौभाग्य की कामना करती हैं।

कैसे मनाते हैं Tija?

  • करु भात (करेला-चावल) तीज की पूर्व संध्या पर खाया जाता है।
  • महिलाएँ पारंपरिक परिधान, गहनों और सुहाग चिन्हों से सजती हैं।
  • मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्तियाँ बनाकर पूजा और कथा-श्रवण करती हैं।
  • निर्जला व्रत के साथ लोकगीत, कजरी, झूला, समूह गान का आयोजन होता है।
  • सिंघारा (मायके से भेजे उपहार), कपड़े, मिठाई एवं फल, तीजा की अनिवार्य परंपरा है।
  • व्रत का पारण विशेष पकवान जैसे ठेठरी, खुर्मी, फल-फूल से किया जाता है।

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Pora (पोला) तिहार: कृषक जीवन की पूजा

महत्व और परंपराएँ

image showing Tija-Pora festival

पोरा तिहार मुख्यतः किसान समाज के लिए विशेष है। इसमें बैलों, गायों आदि की पूजा की जाती है—जो खेतिहर संस्कृति की रीढ़ हैं।

  • पशुओं को स्नान कराकर, रंग-बिरंगे गहनों और घंटियों से सजाया जाता है।
  • उनके सींगों में रंग और माला बांधना आम बात है।
  • गांव में बैल दौड़, झांकियां, बच्चों द्वारा मिट्टी के बैलों से खेलना, सामूहिक मेलों का आयोजन।
  • कृषि यंत्रों की पूजा और उनके प्रति आभार प्रदर्शन।
  • घर-घर ठेठरी, खुर्मी, मिठाई, चावल की खीर, फल-फूल और विविध पकवान।

तिजा-पोरा की लोक-संस्कृति और गीत

  • महिलाएँ और बच्चियाँ “तीजा के गीत”, कजरी, हास्य-गीत, परंपरागत कहावतें गाती हैं।
  • झूला झूलना, लोकनृत्य, समूह गीत और हंसी-मजाक वातावरण को उल्लासमय बनाते हैं।
  • बच्चे मिट्टी के बैल (पोरा) और खिलौनों से खेलते हैं।
  • गांव में मेला, पेंटा, झूला और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

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छत्तीसगढ़ के घरों और गाँवों की तैयारियाँ

– पर्व से कुछ दिन पहले बाजारों में भीड़, मिठाई-खरीदारी, पारंपरिक वस्त्र, पूजा सामग्री की रौनक।
– बच्चों की उत्सुकता मिट्टी के खिलौनों, रंग-रंग के बहुरंगी सजावटी सामानों को लेकर बनी रहती है।
– घर-आंगन की सफाई, रंगाई-पुताई, साज-सज्जा तथा महिला मंडली का विशेष उत्साह।

जानिए कब है तीजा पोरा तिहार 2025 में |

Tija Pora: धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-विधि

Tija Pora में:

  • किशोरी से लेकर वृद्ध महिलाएँ पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
  • मिट्टी या पत्तियों से बने शिव-पार्वती/गौरा-गौरी की स्थापना।
  • फूल-पत्तियों, रंगोली, दीपों से मंडप सजाकर पूजा-अर्चना की जाती है।
  • कथा-स्लोक, लोकगीत, समूह पूजा और झूला रस्म।
  • रात में कथा श्रवण, भजन कीर्तन और पर्व का उल्लास।

पोरा पूजा में:

  • सुबह पशुओं का स्नान, सजावट।
  • कृषि औजारों की पूजा।
  • बच्चों सहित पूरे परिवार का सामूहिक भोज।
  • पारंपरिक व्यंजन: ठेठरी, खुर्मी, पूड़ी, करु भात, फरा, मिठाई, फल।

तीजा-पोरा के प्रमुख पकवान

Tija Pora 2025: छत्तीसगढ़ के तिजा-पोरा तिहार, परंपरा और सांस्कृतिक विशेषताएँ
Pora Tihar
  • ठेठरी-खुर्मी: पारंपरिक स्नैक्स
  • फरा, खीर, पूड़ी, मिठाई
  • करु भात: करेले, चावल की ख़ास थाली
  • फलों का भोग: केला, अंगूर, नारियल
  • चावल-चना के स्वादिष्ट व्यंजन

बदलती छवि: तीजा-पोरा का आधुनिक स्वरूप

वर्तमान में शहरी एवं डिजिटल छत्तीसगढ़ में भी तीजा-पोरा के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ है —
सामाजिक संस्थाएँ, महिला मंच, सरकारी आयोजन इस पर्व को मनाते हैं।
– सोशल मीडिया पर तीजा-पोरा की शुभकामनाएँ, फोटो साझा की जाती हैं।
– राज्य सरकार के कई हिस्सों में अवकाश, सांस्कृतिक इवेंट्स और उपहार वितरण होता है।

Tija Pora से जुड़े जरूरी सवाल-जवाब

Q1. तिजा-पोरा तिहार 2025 में कब है?

A: तीजा पोरा 2025 में 22 अगस्त दिन शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा

Q2. क्या तिजा-पोरा तिहार केवल छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है?

A: नहीं, यह पर्व छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों ओडिशा, झारखंड और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है।

Q3. तिजा-पोरा तिहार 2025 की पूजा विधि क्या है?

A: पूजा में महिलाएँ व्रत रखती हैं, शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा करती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं और रात को व्रत खोलती हैं।

निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ का तीजा-पोरा तिहार —केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, प्रकृति-प्रेम, गांव की आत्मीयता, महिला-शक्ति और कृषि-संस्कृति का जीवित उदाहरण है। 2025 में 22 अगस्त और 26 अगस्त को पूरे छत्तीसगढ़ में तीजा-पोरा मनाएं, अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व करें और इस पर्व की खुशियाँ सबके साथ बांटें।

यह पर्व हर पीढ़ी को अपनी विरासत और मातृभूमि से जोड़ता है – आइए, तीजा-पोरा को और भी अनूठा बनाएं!

2025 के तीजा-पोरा तिहार की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ!

Happy Tija Pora festival

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