Kamarchhath 2025: कमरछठ (हलषष्ठी) कब है? और कैसे मनाया जाता है? पूरी जानकारी

Kamarchhath 2025: कमरछठ (हलषष्ठी) कब है? और कैसे मनाया जाता है? पूरी जानकारी

Kamarchhath 2025: कमरछठ (हलषष्ठी) कब है? और कैसे मनाया जाता है? पूरी जानकारी

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कमरछठ (हलषष्ठी) क्या है?

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत में कमरछठ या हलषष्ठी (Hal Shashti) का त्योहार विशेष स्थान रखता है। यह पर्व मुख्यतः माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र, खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इसे हरछठ, हलछठ या ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह बिहार और उत्तर प्रदेश के छठ पर्व जैसा अत्यंत श्रद्धा और नियमों से मनाया जाता है, लेकिन इसकी मान्यताएं और विधियां छत्तीसगढ़ की परंपराओं से जोड़ देती हैं।

 

Kamarchhath 2025 में कब है?

साल 2025 में कमरछठ (हलषष्ठी) का पर्व 14 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी (छठवीं तिथि) को पड़ता है।

                 वर्ष    तारीख                  दिन
               2025   14 अगस्त                गुरुवार

नोट: प्रत्येक वर्ष इसकी तिथि भाद्र पंचमी के अनुसार बदलती रहती है, अतः पंचांग देखकर सुनिश्चित करना चाहिए।

कमरछठ (हलषष्ठी) का धार्मिक महत्व

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Kamarchhat: पूजा करती महिलाये
  • यह व्रत माताएं बच्चों की लंबी उम्र, सुरक्षा और खुशहाली के लिए करती हैं।
  • मान्यता है कि बलराम जी (भगवान कृष्ण के बड़े भाई) का जन्म इसी दिन हुआ था, और बलराम का आयुध ‘हल’ (हल) होने के कारण इसका नाम हलषष्ठी पड़ा।
  • छत्तीसगढ़ में कृषक समाज के बीच यह पर्व खेत और कृषि की उपज से भी गहराई से जुड़ा है।

KamarChhath Vrat Katha

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Kamarchhath: व्रत एवं पूजा विधि

 

1 . व्रत का संकल्प और प्रमुख नियम:

  • महिलाएं सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखती हैं।
  • बिना हल चले (यानि बिना जुताई वाले) अन्न, जैसे पसहर चावल (लाल भात) तथा जंगली भाजियां खाई जाती हैं।
  • इस दिन गाय के दूध, दही, और घी का सेवन नहीं किया जाता; केवल भैंस के दूध का उपयोग विशेष तौर पर मान्य है।

2 .पूजा विधि:

  • घर के आंगन या मोहल्ले के चौराहे पर मिट्टी से दो सगरी (कुंआनुमा तालाब) बनाते हैं।
  • सगरी को फूल-पत्तों, महुआ के पत्तों एवं सजावटी चीजों से सजाया जाता है।
  • शिव-पार्वती, बलराम एवं अन्य देवी-देवताओं की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है।
  • कमरछठ की कथा सुनी जाती है और डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
  • पूजा में 6 का विशेष महत्व: 6 तरह की भाजियां, 6 खिलौने, 6 मिट्टी के छोटे घड़े, 6 बार जल अर्पण, और सगरी के जल में डूबे 6 कपड़ों से बच्चों की कमर पर 6 बार थपकी दी जाती है।

Kamarchhath पर क्या खाएं, क्या न खाएं?

Kamarchhath 2025: कमरछठ (हलषष्ठी) कब है? और कैसे मनाया जाता है? पूरी जानकारी
kamarchhat pakwan
   खाएं (अनुशंसित)        न खाएं (प्रतिबंधित)      
पसहर चावल (लाल भात) गेहूं, चावल (जुताई वाला)
6 प्रकार की भाजियां गाय का दूध, दही, घी
भैंस का दूध, दही तली हुई चीजें, मसालेदार भोज्य
महुआ के पत्तों पर भोजन हल चली उपज

FAQs:

Q: कमरछठ 2025 में कब है?

Ans: साल 2025 में कमरछठ (हलषष्ठी) का पर्व 14 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी (छठवीं तिथि) को पड़ता है।

मान्यताएं और रोचक तथ्य

Indian women with a little baby in Kamarchhath Festival

  • ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को मानने से बांझ स्त्रियों को संतान सुख प्राप्त होता है, वहीं संतान की लंबी उम्र के लिए यह अत्यंत फलदायी है।
  • हर परिवार के प्रथम संतान के लिए विशेष रूप से यह व्रत किया जाता है।
  • छत्तीसगढ़ में विशेष तौर पर महिलाएं सामूहिक रूप से सगरी सजाकर पूजा करती हैं, जिससे आपसी भाईचारा और सांस्कृतिक एकता का संदेश मिलता है।

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छत्तीसगढ़ का कमरछठ त्योहार न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह मातृत्व एवं संस्कृति के उत्सव का प्रतीक भी है। वर्ष 2025 में यह पर्व 14 अगस्त को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएं और अपनी संतानों के सुख-समृद्धि के लिए कमरछठ व्रत रखें।

 

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